डिप्रेशन आज के दौर मै सबसे बड़ी सम्स्या है | यह ज्यादातर मनोवैज्ञानिक वीमारी है जो आधुनिक जीवन की उलझनों की देन है इसमें व्यक्ति बिना किसी रोग की रोगी हो ने की शंका होती है | Depression की कई वजह हो सकती है हर किसी की समस्या अलग अलग हो सकती हैं लेकिन उनके लक्षण लगभग एक जैसे ही होते हैं। जैसे लगातार उदासी से घिरे रहना , बेचैनी आना या क्रोध में रहना, किसी न किसी की वजह से मूड खराव करना और जिंदगी से कोई उम्मीद नरखना । घोर निराशा होना ,हमेशा अपनी गलती को मानना ,हरवक्त जिंदगी को बोझ समझना और मनपसंद काम ना करना और काम ना करने की लाचारी महसूस करना | नींद ना आना या जल्दी आँख खुल जाना या बहुत ज्यादा नींद आना | भूख कम लगने से लगातार वजन कम होना
कारण और निवारण(Causes and Prevention)
अपने व्यवहार और दृश्टिकोण का आचरण जरूर करे इससे ढूढ़ पाएंगे की डिप्रेशन का कारण हमारे ही भीतर है आउट इसका निवारण भी आप के पास है | क्योकि हम अपने दुःख की कारण हमेशा बाहर ढूंढ़ने जाते है |
इंसान कमी अपने मै नहीं दूसरे मै ढूढ़ता है उसे लगता है की आज जो उसकी हलात है वह दुसरो की वजह से अगर वह दुखी है तो दूसरे के कारण उसे लगता है की अगर वह बात मान लेता तो बात इतनी नहीं बिगड़ती ,अगर प्यार से बोलता तो हमे गुसा नहीं आता वो मुझसे जलता है वो हमे खुसी नहीं देखना चाहता |
इन्सान अपनी गलतिया दुसरो मै देखते है अगर वह जरा सोच कर देखे तो उसे पता चलेगा की अपनी दुखी के कारण वह खुद है |
सबसे बड़ी गलती दुसरो को बदलना(Biggest mistake is to change)
हर इंसान खुद को नहीं बदलना चाहता हमेसा सामने वाले को बदलना चाहता | अपने अनुरूप बनाना चाहता है ,इंसान की यही कोशस सबसे बड़ा दुःख के कारण है | इंसान यह सोचता है की वह बदल जायेगा तो रुका हुआ काम अपने आप सारे दुःख नास हो जाएगा | लेकिन यह भूल जाता है की अगर वह खुद को नहीं बदल स्का तो दुसरो क्या बदलेगा |
दूसरे के वारे मै क्यों सोचना ?(Why think about others?)
हम खुद से ज्यादा तो दूसरो के बारे में सोचते हैं। वोव्यक्ति क्या कर रहा है, उसने ऐसा क्यों नहीं किया, वो मेरे से बेहतर कैसे है। ये बातें आपको डिप्रेसन की तरफ ले जाती हैं। जब आप दूसरो के बारे में अधिक और बिना मतलब का सोचने लगते हैं तो आपके दिमाग में कम्पीटिशन शुरू हो जाती है और आप खुद को कमजोर समझकर डिप्रेसन में चले जाते हैं। इसीलिए छोड़ो , वो जो कर रहा है करने दो , वो अपनी जगह सही है और आप अपनी जगह मस्त रहो । बस हमेसा अपने अंदर खुशियाँ को ढूढ़ते रहो।
अपनों से दिल की बात करो(Talk heart to your loved ones)
अपने प्रिये परिवार वालोँ से या फिर जो भी आप के सबसे ज्यादा दिल की निकट हैं और आपको ऐसा जान परता हैं की वह आपकी बात समझ सकता हैं उससे खुल के अपने प्रोब्लेम्स के बारे में शेयर करो। आपके नजदीकी फ्रेंड्स और आपका परिवार ही आपको डिप्रेशन से बहार निकलने में मुख्य भूमिका निभाता है।
क्या जरूरी है फ़ोन इस्तमाल करना (Is it necessary to use the phone)
क्या हो अगर आप कम फोन इस्तेमाल करें, इससे क्या बिगड़ जाएगा और आपको कौन सी परेशानी होगी। जब आप इन सवालो को खुद से करेंगे तो जवाब मिलेगा शायद कुछ खास नहीं। आप जब अधिक फोन इस्तेमाल करते हैं तो आप खुद से दूर होते हैं और खुद से दूर रहने वाला इंसान कभी सुखी नहीं रह सकता है। इसीलिए समय निर्धारित कीजिए और फोन का इस्तेमाल कम कीजिए, आप देखेगे की इस छोटी से आदत को बदलते ही आपका जीवन तनावमुक्त होने लगेगा।
अपने आप को व्यस्त करना(Busy myself)
एक ऐसा व्यक्ति या दोस्त चाहिये होता है जिससे वह अपनी मन की सारी बाते खुलकर कह सके | जो उसकी पूरी बाटे धीरज से सुने और भावनाओं की आलोचना न करें बल्कि उस व्यक्ति के हलात को समझने की प्रयास करें | वह उस व्यक्ति मै इतना आत्मविवास जगा सके की वह अपना समस्या खुद ही सुलझाले | बच्चे के मामले मै माँ-बाप की अहम भूमिका है
जल्दी उठना जल्दी सोना(Wake up early sleep)
आप सोचेंगे की भला इसका डिप्रेसन से क्या मतलब है। जब आप देर से सोते है और देर से उठते है तो आपके जीवन में समय की थोड़ी बहुत कमी होती है। आप जल्दी से उठकर भागते भागते तैयार होते हैं और फिर देर से पहुचने की टेंशन दिमाग में शुरू हो जाती है और हो जाता है तनाव। सोचिये अगर आप एक घंटे पहले उठना शुरू कर दें तो आप सारे काम समय से कर सकेंगे, अच्छा नाश्ता कर सकेंगे, आराम से तैयार होकर समय से दफ्तर जा सकेंगे। इस छोटी से आदत को बदल दो और आप देखेंगे की डिप्रेसन शब्द आपके जीवन से गायब होजाये गा।
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