Site icon ज्ञानी क्लब

माता -पिता का क्या महत्व है ? What is the importance of parents?

दोस्तों हमसब जानते है की हमारे जीवन मै जो खुसिया है ,वो हमारे माता -पिता की कारण  है | माता -पिता का स्थान ऊपर वाले से ज्यादा है , क्योकि भगवान दुःख और सुख दोनों देते है | जबकि माता पिता हमे सदैव सुख ही देने की कोशशि करते है | और इसलिए सभी गुरुओं  मै सबसे पहला नाम जो है वो है हमारी माता का क्योकि माँ ही बच्चो का प्रथम गुरु है | जैसे की हम और आप जानते है की माँ की ममता का मोल पुरे विशव मै नहीं है | माँ वह देवी है जो सारे दुःख मन ही मन सहती रहती है ,और  अपने होठो पर हमेशा मुस्कान बनाई रहती है |  इसलिए हमे अपने माता -पिता को कभी नहीं भूलना चाहिए क्योकि, हम माता-पिता के बिना अधूरा है | आजकल के बच्चे को देखती हु की वह अपने माता -पिता का बिलकुल ध्यान नहीं रखते है | पता नहीं क्यू वह भूल जाते है की उनके लिए माता -पिता अपनी सारे सपनो को मारकर उनके खुशियाँ पुरे करने मै लगे रहते है

माता-पिता का संघर्ष (Parental conflict)

मनुष्य के विकास मै माता -पिता का अहम भूमिका है | माता-पिता अपने बच्चे को पाल-पोष कर अपने पेरो पर खड़ा होने योग्य बनाती है जिससे जीवन मै कोई भी कठनाई से लड़ सके | माँ-बाप जो बचपन से जवानी तक हमे अपना पेट काटकर खिलाया -पिलाया ,हमारा साथ  बहुत ही बखूबी निभाया ,और हमारी जरूरतको पूरा किया | हम उन माँ-बाप को बुढ़ापे मै अकेले दर -बदर भटकने के लिए मजवूर कर देते है | वो माता-पिता जो जीवनभर हमे आशिस देते है , हमारी खुशियों की कामना भगबान से करते है | दुनिया मई एक माँ-बाप ही है ,जो आपकी तरक्की से कभी भी नही जलतेहै |  वो हमारे लिए कितने सारे सपने देखते है | अपनी बहु  के बारे मै अपनी पोता -पोती के बारे मै और हमारा घरपरिवार के बारे मै वो यह सोचती है की  यह सब पूरा होने के बाद है बिलकुल  निफिकिर होजायँगे | लेकिन वो कभी भी यह नहीं सोचती  की उनकी परवाह किसी को है की नहीं | क्योकि जब बच्चे की विवाह हो जाता है तो वह दिनरात अपने पत्नी के आगे पीछे लग जाता है ,और अपने माँ -बाप  पर ध्यान नहीं देता ,यहसब देखकर माँ -बाप को बहुत कष्ट होता है | जो संतान अपने माता -पिता का बुराई करता है ,वह इस धरती पर नालायक संतान  है  |

संतान का कर्त्तव्य (Child’s duty)

जिन माँ -बाप ने हमे ऊगली पकडकर चलना सिखाया है | हम उन्हें बुढ़ापे मै कापते हाथ को अकेले रहने पर को मजबूर कर देते है | उनकी उगलिया थामने का हमारे पास वक्त नहीं होता है ,और न ही चाहत ,बस सिर्फ अपना काम अपना बच्चा अपना दोस्त इन्ही सब मै व्यस्त रहते है | अब हमे यह सोचना होगा की माँ -बाप ने जीवनभर उनकी लालन पोषण किये है | अब समय है की हम उनकी सेवा करे उनकी देखभाल करे | इसे ही त्याग का घरी कहते है जो कल आपके भी बच्चे आपको देखकर सीखेगा | और आगे चलकर आपके भी सेवा करेगा |
जिस परिवार मै माता-पिता का आदर भाव से सेवा किया जाता है वह परिवार मै खुशियाँ ही खुशियाँ रहती है उनकी कभी अमंगल नहीं होता |
मगर जिस परिवार मै माता -पिता का अनादर होता है ,उस परिवार मै कभी भी शांति नहीं होती है , अतः वहा पर लक्ष्मी नहीं रहती है |
इसलिए कभी भी नहीं कहना की माँ- बाप को मै रखा हु ,बल्कि यह कहना की माँ -बाप मुझे अपने साथ रखे है |

माँ-बाप का कर्ज चूका पाओगे ? (Will you be able to repay the debt of parents?)

नहीं दोस्तों हम कभी अपने माँ-बाप का कर्ज नहीं चूका सकते है | कुछ लोग अपने बजुर्ग माता पिताकी की सेवा नहीं कर पाते लेकिन उनको किसी भी प्रकार का कोई कमी नहीं रहने देते है ,वे लोग उन व्यक्ति से वेहतर है जिनके माता पिता दाने दाने को मोहताज होते है | बुढ़ापे मै सिर्फ पैसो की कमी नहीं होते है| सेवा की भी जरूरत होते है | कुछ लोगो को देखती हु, की यह कहते हुए की वह मजबूर है माँ-बाप को अपने साथ रखने मै | क्या कभी माँ-बाप ने यह कहा है की वह मजबूर है  अपने बच्चो को साथ  रखने मै ,सोचो माँ -बाप की सम्पति पर तुम्हरा अधिकार है ,लेकिन तुम्हरा धन दौलत पर उनका अधिकार नहीं है | ज्यादा तर माता- पिता अपने बच्चो के लिए हर मुसीवत से लड़ने को तैयार है , लेकिन उनके खुशियों के लिए बच्चे क्यों नहीं तैयार है | वास्तव मै उनको जरूरत है अपने बच्चो की साथ की अपने  बहु बटे की अपने पोते -पोती  की | माँ -बाप अपने कमाई मै तीन चार बच्चो की पालन पोषण कर लते है | वही बच्चा अपने माता -पिता को क्यों नहीं  सहारा देते है बुढ़ापे मै | अभी जो आप अपने बच्चो की खातिर मेहनत करते है उनको अच्छी संस्कार देने के लिए ,वही मेहनत आपके माता -पिता ने किया था आपको देने मै , आप सोचते है की कितने  सुन्दर  है |  आप कितने बलवान है  कितने सुन्दर आपकी लम्वाई है , आप कितने नौकरी कर रहे है |  क्या कभी आपने यह सोचा है की यह सब किसके बदौलत आपके माता पिता की बदौलत ,अगर वह समय पर हमारे देखभाल नहीं करते तो क्या होता ,अगर वह समय पर स्कुल न भेजते  तो आज हम किस हलात मै होते| इसलिय कहते है की जहा भगवान नहीं होते वहा माँ -बाप होते है |

Exit mobile version