बच्चों का विकाश कैसे करें ? (How to development of children ?)

हम जानते है की माता-पिता के ऊपर बहुत बड़ा जिम्मेदारी होती है की वो अपने बच्चों  का ख्याल कैसे रखे | उनके लालन -पोषण एवं अच्छे  संस्कार किस तरह से दे , जब हम विवाहित जीवन मै अकेले होते है तो बिलकुल बिंदास जीते है , लेकिन जब हमारे बीच बच्चे  आते है तो हम  सभी बच्चे को लेकर  बहुत  ज्यादा चिंतित हो जाते है |  और ये आवश्य्क भी है | अगर हम अपने लाड़ प्यार  के  कारण बच्चों को आलसी चटोरा घमंडी  या लालची  नहीं बना  सकते  है |   इसलिए हमे अपने बच्चों को बचपन मै ही  अच्छी संस्कार देनी चाहिए  जैसे की अक्सर देखा जाता है की बच्चो को अपने दादा -दादी , नाना -नानी ,के  कुछ ज्यादा दुलार  मिलता है | इसतरह  से ज्यादा लाड दे कर हम बच्चों के साथ  अन्याय करते  है |  क्योकि अगर हम बच्चों को  सही समय पर सही मात्रा मै सही प्रसंसा  करके या गलती करने पर  सही समय पर  दंड देकर हम उनके विकास के लिए बहुत महत्वपूर्ण  कदम उठाते है |

बच्चो को कैसे सही आदत डाले ?(How to get children right?)

बुहत सारे माता-पिता अपने बच्चो को केवल खाने पिने या खेलने कूदने मै सारे पैसे लगा देते है  और उन्हें यह पता नहीं लगापाते की ऐसे करने से हम अपने बच्चे के भविष्य को खतरे मै डाल रहे है ,इसलिए हमे अपने बच्चो की आदत के बारे मै परखते रहे  ऐसा करने से हम बच्चो के बारे ज्यादा पता चलेगा | शुरुआत मई तो हम अपने बच्चो पड़ बहुत ध्यान देते ,लेकिन जैसे ही वे बड़े होते है हम उनपर से थोड़ा ध्यान  कम कर देते है और  वही से बच्चा बहुत  सेतान  जिद्दी या झूठ बोना शरू कर देता है  इसलिय माता -पिता को चाहिए की अपने बच्चो के बारे मै पल पल के हिसाव रखे क्योकि यह समय बच्चो के लिए सिखने का समय होता है  इसलिए माता -पिता ज्यादा टोके ना रोके मगर जासूस की उनकी बातो को नोटिस करते रहे और देखते रहे की उनके वेवहार मै क्या अंतर  आया है | इसतरह से बच्चे के सही या गलत का पता चलता है|

बच्चो के सामने क्या  करे क्या ना करे ?(What to do and what not to do in front of children)

जैसा की हम सब जानते है की  बच्चे वही सीखता है  जो देखता है ,इसलिए याद रखे की बच्चो के सामने मै कभी भी लड़ाई -झगड़ा ना  करे ,और पैसे की लेन -देन ना करे  किसी की बुराई ना  करे , खासकर आप दोनों मिया -बीबी अपनी समसिया  के कारण जो बच्चो के सामने लड़ने -झगरने  शुरू केर देते है  हम  यह नहीं  कह की आप अपनी प्रॉब्लम  ना   सुलझाय ,  जब बच्चे  सो जाते  है आप उस समय  अपनी  आपसी प्रोब्लम समझदारी के साथ  बात चित कर हल ढूंढ सकते  है |  अगर आप दोनों  के बीच  कितनी भी समस्या हो यहां तक की बात  तलाक तक चली जाय लेकिन अपने अपने बच्चो के बीच हस्ते हुए मुस्कुराते हुए सामने आपसमे बात करे | अगर हो सके तो अपने बच्चो की खुसी के लिए अलग ना हो क्योकि बच्चे को तो माता -पिता दोनों के प्यार चहिए  क्योकि एक पहिय से कभी भी गाड़ी  नहीं चलती ,उसी प्रकार किसी एक के बिना घर अधूरा होता |

बच्चो को कैसे पढ़ाये(How to teach children)

बच्चो को अगर जबरदस्ती से  पढ़ाओगे तो वह आनाकानी करेगा , इसलिए आपको जो भी पढ़ना है उससे पहले आप स्वयं उसके सामने पढ़े क्योकि बच्चे देखने से ही करता है | बच्चो का विकास उपदेशो पर नहीं अनुकरण पर निर्भर है | उनका मनष्कि विकास लम्वे चोरे  उपदेशो या कठोर शासन के समझने मै अज्ञान होता है पर जो कुछ भी हो रहा है उसे समझने मै और अपनाने मै उसका  दिमाग बहुत ज्यादा तेज होता है  इसलिए  कहती हु की जो भी सीखना है उसके सामने मै  सिखाये या प्रस्तुत करे  बच्चे वही नहीं करते जो हम आप करने को कहते है लेकिन वो करते है जो वह देखते है  जब तक हमसब खुद ही सदाचारी ना बनगें ,अपने बड़ो का आदर नहीं करंगे  या घरपरिवार मै मिलजुल कर नहीं रहेंगे अपने परोसियो के साथ  अच्छी  व्यवहार नहीं करंगे | तो हम अपने बच्चो से क्या उम्मीद लगायेंगे |

बच्चो को दोस्त बनाओ(Make kids friends))

बहुत सारे परिवार मै देखती हु  की बच्चे के  परीक्षा को लेकर बहुत ज्यादा परेशान होते है वो बच्चे को हर समय इसी बात को लेकर दवाव डालते रहते है  और उसे दूसरे बच्चे के तरह पढ़ने को कहते है  इससे बच्चे और भी ज्यादा मानसिक तनाव से परेशान हो जाते है  और अकेले मै उनके दिमाग मै गलत ख्याल आते रहते है |  इसलिए आप का जिमेदारी है की बच्चे के साथ एक दोस्त की तरह पेश करे इससे आपके बच्चे को बहुत ही अच्छी फील आएगी  और वह कभी भी अकेला महसूस नहीं करेगा | और वह आपसे सारे परेशानी शयेर करेगा क्योकि माँ-बाप बच्चो के चरित्र -निर्माण के कार्य छोडकर  धन और सम्पति  के बारे लगे रहते है  आजकल के तो माताएं भी काम पर चली जाती है वो यह सोचते है की बड़े होने पर हम्मरे बच्चे के काम आएँगे | मगर जब बड़े होते है तो उन धन को यु ही बर्वाद कर देता है , इसलिय सबसे जरूरी बच्चो को अच्छी संस्कार देना |

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