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वसीयत क्यों बनायी जाती हैं ? (Why is a will made?)

वसीयत क़्या है ?(
What is a will?)

वसीयत एक क़ानूनी दस्तावेज है ,जो आपकी धन -दौलत को आपके न रहने पर आपकी इच्छाओं के मुताबिक बाटता है |
जैसे की आपके न होने पर आपके अपने बच्चों ,रिस्तेदारो ,दोस्त या किसी भी ट्रस्ट या अपने नौकरों ,जिन्हे वह चाहे उसे दे सकता है |
वसीयतकर्ता की मृत्यु के बाद ही वसीयत पभावी मानी जाती है | वसीयत को अपने जीवन-समय मै कभी भी तबदील की जा सकती है |
उसमे परिवर्तन किया जा सकता है और बिल्कुल खत्म भी की जा सकती है एक व्यक्ति चाहे तो कितनी बार भी वसीयत बना सकता है | लेकिन मरने से पहले तैयार की गई अंतिम वसीयत ही मान्य होगी |

वसीयत कौन कर सकता है ?(Who can testify?)

वसीयत करने वाला मानसिक रूप से स्वस्थ और बालिग होना चाहिए | नशे की हालत मै या जबरदस्ती ,बल प्रयोग क्र या अनुचित तरिके से प्रभावित कर बनवाई गई वसीयत मान्य नहीं होती है , क्योकि इसे व्यक्ति की स्वेच्छा नहीं माना जाता है | वसीयत स्वंय अर्जित संपत्ति की ही की जा सकती है | महिलाओं को भी पुरुषो के समान अपनी उपहार व दहेज से मिली वस्तुएँ या स्त्रीधन सम्पति की वसीयत करने का अधिकार है |

कब बनाई जाए वसीयत ?(When will a will be made?)

वसीयत मनुष्य के जीवनकाल मै कभी भी बनाई जा सकती है , लेकिन जितना जल्दी हो सके ,यह काम कर लेना चाहिए ? खासतौर पर अगर आपकी शादी हो चुकी है और आपके बच्चे है दोनों विवाहित जोड़ो को अपनी अलग वसीयत बनानी चाहिए |

क्यों जरूरी है वसीयत ?(Why will)

अगर किसी ने वसीयत नहीं कराई है ,और उसकी मृत्यु हो जाय तो जायदाद के बंटवारे को लेकर परिवारिक कलह होने का डर रहता है |
वसीयत न करवाने से प्रॉपटी पर किसी अनजान आदमी के कब्ज़ा करने की अंदेसा रहता है |

वसीयत के फायदे (Benefits of will)

मृत्यु के बाद सम्पति पर विवाद की समय नहीं रहती और आप अपनी इक्छानुसार सम्पति की बटवारा क्र सकते है यह एक गोपनीय दस्तावेज है जिसमे मृत्यु के पहले स्वंय के आलावा सम्पति के बंटवारे का किसी को पता नहीं चलता है | वसीयत के जरिए आप अपनी सम्पति का बंटवारा भी कर देते है तथा उसके सरे अधिकार भी आपके पास रहता है | उस सम्पति को अपने जीवन काल मै जैसे चाहे उपयोग कर सकते हैइस तरह हमे निर्भर भी नहीं रहना परता है | यदि बेटा मुर्ख है या नासमझ है तो उसको सम्पति इस प्रकार से दे की उसे केवल सम्पति की आय ही मिले | बेहतर होगा की उसकी पत्नी को मिले | अगर बीटा क्रूर है तो उसे सम्पति से बेदखल भी किया जा सकता है | वसीयत ,किसी भी दूसरे दस्तावेज से अधिक मान्य होती है | अपने अपने बच्चो को (नॉमिनी ) ,उत्तराधिकारी ,के रूप मई अपने मकान ,बैंक ,बिमा। एकाउंट या अन्य शेयर मै नामित किया होगा ,लेकिन [नॉमिनी ], (उत्तराधिकारी ) मालिक नहीं होता है | (नॉमिनी ) या (उत्तराधिकारी ) तभी मालिक मन जाता है ,जबकि उसके विषय मै वसीयतनामा मै भी लिखा गया हो | अगर कोई व्यक्ति ,नॉमिनी , (उत्तराधिकारी ) नहीं भी है ,किन्तु उसे वसीयत मै नामित कर दिया है ,तो अंतिम मालिक वही मन जाता है | लोग अक्सर समझते है की वसीयत की जरूरत तो सिर्फ उन लोगों को होती है जिनके पास इतनी सम्पति हो की उन के बटे -बेटियों के बीच उस सम्पति के बंटवारे को लेकर झगड़े और गलतफ़हमी होने की आशंका हो ,पर ऐसा नहीं है | इसलिए वसीयत भी सभी को तैयार करनी चाहिए |

अन्य फायदे(
Other advantages)

1 . वसीयत के जरिये कोई भी जमीन प्राप्त होती है तो उस पर कोई स्टाम्प ड्यूटी नहीं लगती है |
2 . अगर कोई भी सम्पति वसीयत के जरिये होती ,तो उस पर कोई भी ट्रांसफर कैपिटल गेन और न ही गिफ्ट टैक्स लगता है |
3 . वसीयत के जरिये अपने बच्चो के एच. यू. एफ.को सम्पति बाटी जा सकती है/ इससे एक बहुत अच्छी टैक्स प्लानिंग की जा सकती है /

 

वसीयत करने का तरीका
*वसीयत बनाने की क्रिया बेहद आसान है वसीयत का कोई तय फार्म नहीं होता | यह ससादे कागज पर भी लिख सकते है | अपने हाथ से लिखी वसीयत ज्यादा अच्छी रहती है |

* वसीयत किसी भी भाषा मै कर सकता है लेकिन वसीयत हमेसा उसी भाषा मै तैयार करनी चाहिए ,जिस भाषा को वसीयत बनाने वाला अच्छी तरह पढ़ या समझ सकता है |

* स्टाम्प ड्यूटी अनिवार्य नहीं है | वसीयत बनाने के लिए किसी वकील की जरूरत नहीं परती है,लेकिन फिर भी किसी समझदार व्यक्ति से आदेश ले लिया जाए तो अच्छा रहता है | आपको बहुत क़ानूनी स्य तकनिकी शब्दों के इस्तेमाल की जरूरत नहीं है

*आप अपनी वसीयत मै से उन नाम को हटा दे ,जिनमे एक ही शब्द के मतलब निकलते है वसीयत मै कभी भी उपनाम या अपूर्ण नाम नहीं लिखना चाहिए

सावधानियाँ

#अगर वसीयत करते समय बटवारा ठीक से नहीं हो प् रहा है तो वसीयत करने वाला अपना जीवन बिमा सम्पति बँटवारे मै उसे शामिल कर सकता है |
कई बार देखने मई आया है की पति अपनी वसीयत मई जायदाद का बंटवारा अपने बच्चो के नाम कर देते है | समय समय पर अपनी वसीयत को अपडेट करते रहना चाहिए | इस बात का ख्याल रखे की आपकी वसीयत तजा घटनाओ के अनुसार अपडेट हो | जैसे ही आप नई वसीयत ,पुराणी ली जाती है |

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