आत्मचिंतन क्यों आवशयक है ?( Why is self-thinking necessary?)

आत्मचिंतन बहुत बड़ा उपयोगी है  मनुष्य को विचार करते रहना चाहिए की समय का प्रभाव किधर है?मेरे मित्र कौन है ?शत्रु कौन है ?

अपनी आय और व्यय का हिसाब भी लगते रहना जरूरी है | अपनी शक्ति और कमजोरी का अंदाज लगते रहना भी उपयोगी है ,और इस हिसाब से अपने अनुकूलकार्य निर्धारण करना भी उचित है | जीवन मै कुछ अलग करके देखिये जैसे :-एक तरह का काम हमे ऊबा देता है बल्कि हमारी काबलियत एबं हुनर को भी कम करता है इसलिय कुछ नया कुछ अलग करने की कोशिश जरूर करे जिसको सोचकर ही आपके  मन मै एक उत्साह जागता है ,आपके मन मै विचार आने  लगता है | चुनौतियां  आपको कुछ अलग करने के लिए उकसाती रहे | इसतरह से आप अपने हुनर के बारे मैं समझ पाएँगे | आपकप एहसास होगा कि आपकी शक्ति आपकी विचार ,आपकी हुनर आगे बढ़ेंगे और मजबूत होने लगी  है | नए अनुभव आपको और भी कुशल बनाएंगे |  अपने आप से बेहतर प्रशन पूछें :- अगर आप अपने आप से बेहतर प्रशन पूछते  है तो आपको बेहतर उत्तर मिलता है उनसे आपका सोच केंद्र और होता है|                                                 

1 . आप किस बात पर खुश है ?

2 .  आप किस बात पर गर्व करते है ?

3 . आप किन लोगों के प्रति आभार महसूस करते है ?

4 . कौन सा कार्य अच्छा करते है ?

5 . आप की कौन सी आदत अच्छी है ?

6 . आप किस आदत मै सुधार ला

ना चाहते है ?

7 . आपको किसने सबसे ज्यादा मदद की ?

 

शुरुआत मै विसवास ना करना 

शुरू-शुरू  मै लगता है की ये नहीं हो पायेगी , विसवास ही नहीं  करते  की कुछ नया भी किया सकता है | बाद मै वे सोचने लगते है की वह नहीं किया जा सकेगा | फिर वे देखते है की वह किया जा  रहा है  और जब वह हो जाता है तो सारा संसार सोचता है  की वह पहले क्यों नहीं किया गया | इसलये  मनुष्य को कभी भी  मुसीबत मै घवराना  नहीं चाहिए , अपनी  काबलियत को हमेसा जगाते रहो | क्योकि इंसान  जब भी मुसीबत मै परता है  तो अपने आपको  हारते हुए महसूस  करता  है|  इसलये आप आत्मचिंतन करते रहिये | जिससे अपनी जीवन मै एक अच्छी जगह बना पाएंगे | आत्मचिंतन के विषय में महात्मा बुद्ध कहते है कि मनुष्य आत्म चिंतन से जितना अधिक सीख सकता है उतना किसी बाहरी स्रोत से नहीं. इसलिए स्वयं दीपक बनों की बात हमेशा कही जाती हैं. अर्थात आत्म चिंतन तथा बुद्धि से स्वयं को प्रकाशमान बनाएं. हम अपना मन इतना साफ़ एवं पवित्र बनाए जिससे किसी को भी बुरा न लगे और न ही किसी को ठेस पहुंचे. मनुष्य को अपने आत्मीय चिंतन की क्षमा का पूर्ण उपभोग करके जीवन को अधिक बेहतर बनाने की दिशा में कदम उठाना चाहिए. कोई भी कार्य करने से पूर्व आत्मचिंतन से उनके सभी पहलुओं को अवश्य समझे. इस तरह हम आत्मचिंतन की शक्ति का अधिकतम लाभ उठाकर अपने जीवन को और अधिक सफल और खुशहाल बना सकते हैं. अक्सर देखा गया है जो लोग आत्म चिंतन की प्रवृत्ति के होते है वे अपने अवगुणों को कम कर देते हैं यथा क्रोध व लालच पर काबू पा सकते हैं. स्वयं के भीतर झाँकने से हम अपनी बुराइयों को दूर नहीं तो सही उनकी पहचान तो कई सकते हैं हम अपनी कमजोरियों व कमियों को पहचान सकते हैं इसलिए हमारे जीवन में आत्मचिंतन करना बेहद जरुरी हैं.

 

आत्मचिंतन से लाभ(Benefit from self-consciousness)

आत्मचिंतन – ‘आप अपने मन को इतना साफ रखो की किसी बात का आपके दिल पर चोट ना परे | मनुष्य हमेशा अपने जीवन मै कुछ ना कुछ चिंतन, सुमरन का उपयोग करना चाहिए। व्यक्ति को पुरे जीवन मै कोई भी काम हमेशा सोच-समझ कर करना चाहिए| आत्मचिंतन के लाभ से हमसब हमेशा सोच समझकर कर निर्णय ले इससे हमसब अपने जीवन कम गलतियां करंगे और खुश रह सकते है | आत्मचिंतन से हम अपने क्रोध या दुसतभावना को कम कर सकते है | आत्मचिंतन  करने से हमें अपने बारे में ज्यादा समझने और जानने को मिलता है | पता चलता है की हम में क्या-क्या कमियाँ है और क्या क्या बुराइयाँ है | हमें अपने आप को सुधारने के लिए क्या-क्या करना चाहिए | इसलिय आत्मचिंतन
करना बहुत आवश्य्क   है |

आत्मचिंतन से सीखने की कला (Art of learning by self-thinking)


आत्मचिंतन से सीखने को मिलती है| हम सब सही भाव से मिल बैठ कर किसी समस्या या किसी विचार के बारे में चिंतन कर सकते हैं। शांति से चिंतन करने पर हमें उन सारे गुण-दोष समझ में आ जाते हैं। हमारे ऊपर कोई दबाव न होने के कारण हम उस अनुभव या चिंतन से पूर्ण होकर स्थित हो सकते हैं। इस प्रकार आत्मचिंतन के द्वारा हमारी समझने की भावनात्मक क्षमता और विश्लेषण करने की बौद्धिक क्षमता दोनों का विकास होता है। उदाहरण के लिए भारतीय चिंतन परंपरा में मन को एकाग्र करने के लिए ध्यान की जो पद्धति विकसित है, वह इसी का प्रकट रूप है। जिसमें हम शांत भाव से स्थित बैठकर किसी समस्या या विचार पर चिंतन, विश्लेषण व समाधान करते हैं। किंतु यह तभी संभव है जब हम इसे बिना उद्वेग अथवा मानसिक दबाव के कर सकें। छात्र जीवन में भी आत्मचिंतन की महती आवश्यकता है। अपने को बिना जाने और समझे हम आगे बढ़ने लगते हैं और लक्ष्य निर्धारित कर लेते हैं। इससे जीवन भर भटकाव होता है। जब हम अपनी प्रतिभा को बिना पहचाने आगे बढ़ेंगे तो भटकना स्वाभाविक है। ऐसे में यह जरूरी है कि लक्ष्य निर्धारित कर

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